fiza Tanvi

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आगाज़ ए ज़िन्दगी

आगाज़ ऐ ज़िन्दगी..
Part 2nd


दुआएं क़ुबूल होती हैं....

ज़रूरी नहीं आज दुआ मांगी और कल पूरी हो जाये..

कभी कभी तो कई साल महीने या आधी ज़िन्दगी लग जाती हैं..

दुआ क़ुबूल होने मे जब हम छोटे थे. तब खाला ने एक बात बताई थी.

जिसे सुन कर हसीं बहुत आयी थी.
मगर बात बहुत खूबसूरत थी..

उन्होंने कहा था, बेटा जब भी अपने लिए दुआ किया करो तो नेक हमसफर दुआ में ज़रूर माँगा करो..

बचपन से लेकर बड़े होने तक 12.15.साल लग गए..

इन 15 सालो में हर नमाज़ के बाद बहुत सारी दुआओ के साथ साथ शरमाते हुए अल्लाह से नेक और अकल्मन्द शोहर की दुआ भी मांग लेते थे....

  आज 11.12. साल बाद जब हमसफर मिला तो उसे देख कर लगता हैं..

वाक़ई में ये बचपन में मांगी हुई दुआ का ही करिश्मा....

दुआ क़ुबूल भले ही देर से हो मगर अल्लाह की बारगाही में दुआएं रद्द नहीं होती...

अल्लाह फरमाता हैं. अगर तुम्हारे घर नमक ख़तम हो जाये तो वो भी मुझसे मांगो....

मैं अपने रब से बहुत दुआ मांगती हुँ.
जब किसी काम को शुरू करती हुँ.


तो पहले अल्लाह से दुआ करती हुँ.
या अल्लाह इस काम में मेरी मदद करना अगर कोई मुआहकील आये तो उस मुश्किल को खतम कर के मेरे लिए आसानी पैदा फरमाना..

यहां तक के मैं ज़मीन पर एक कदम भी रखती हुँ.
तो अल्लाह से दुआ करती हुँ.
मेरे अल्लाह मुझे संभाल लेना..

जब पहली बार पापा नुवैद को देखने गए थे, तो वो पापा को बहुत अच्छे लगे. उस के काफी टाइम तक अम्मी ने कोई जवाब नहीं दिया था. अम्मी फैसला नहीं कर पा रही थी.
हर माँ की तरह अम्मी को भी डर था कही मेरी बेटी की किस्मत गलत इंसान के साथ ना जुड़ जाये..

लेकिन एक ये बात भी थी. अम्मी ने जिस भी इंसान से नुवैद की familly के बारे में पूछा था. सब ने अच्छा ही बताया था..

लेकिन फिर भी अम्मी का दिल ख़ौफ़ज़दा था. वो फैसला नहीं कर पा रही थी..

वहा से सन्देश आते थे.वो बुलाते एक बार आ जाओ खूब सोच लो समझ लो फिर जवाब देना.. कोई ज़बरदस्ती थोड़ी हैं. दिल ठुके तो करना वरना मना कर देना...

एक दो लोगो से अम्मी ने फिर पूछा उन्होंने बताया लड़के की माँ बहुत तेज़ हैं.

मैं अपने अल्लाह से हर दम दुआ मांगती थी.
मुझे मोहब्बत करने वाले सास ससुर देना...
जो मुझे प्यार करे मैं उन्हें प्यार करू.

पापा भी लगातार अम्मी को कहते थे.
जाओ जाकर देख कर आओ..

 पापा को पूरा यकीन था. लड़का बहुत अच्छा हैं. परिवार अच्छा हैं.
पापा एक नज़र में पहचान गए थे..

मगर अम्मी और मैं इस बात से डर गए थे...

मैं हर चीज में अपने अल्लाह को शामिल करती हुँ..

एक रोज़ फ़ज़र की नमाज़ के बाद में जानमाज़ पर बैठ कर अल्लाह से दुआ माँगने लगी..

कुछ इस तरह से....

एे मेरे अल्लाह तू मेरा रब हैं.
तू ने हर इंसान का जोड़ा बनाया हैं.

आज मेरे जोड़े की तलाश की जा रही हैं. वो नाम जो मेरे पैदा होने से पहले तू ने लोह ए महफ़ूज़ पर लिख दिया था. आज उस नाम की तलाश की जा रही हैं....

या अल्लाह दिल बड़ा बेचैन हैं.
लेकिन मैं ये भी जानती हुँ. मेरी किस्मत बहुत खूबसूरत होंगी 3 माओ की दुआ हैं. मेरे साथ..

या अल्लाह अगर तूने यही लड़का मेरे नसीब में लिखा हैं. और उसी घर में मेरी पूरी ज़िन्दगी बीतने वाली हैं.

तो मेरे रब मेरी एक दुआ और सुन ले.
कुछ लोग कहते हैं. लड़के की माँ बहुत तेज़ हैं.

या अल्लाह तूने अगर यही परिवार मेरे नसीब में लिखा हैं. तो बेशक़ इस में भी मेरे हक़ में कुछ बहतरी होंगी...

या अल्लाह अगर यही लड़का मेरी किस्मत में हैं...यही सास ससुर मेरी ज़िन्दगी का मामूल हैं. तो इन के दिलो को धो दे.उस रेहमत के पानी से जो उन के दिल मेरी तरफ से ता उम्र के लिए मोम हो जाये...
वो मुझसे अपनी औलाद की तरह मोहब्बत करे....

अल्लाह का शुक्र हैं. अब जब मैंने सब को देखा जाना और समझा...

तो मेरे सारे dought clear हो गए..
आज मैं सारे जहा के सामने कह सकती हुँ. मेरे अम्मी अब्बू और मेरी बहने जैसी नन्दे मुझे बाहुत प्यार करती हैं. उन से अच्छी familly मुझे कही नहीं मिलती.... जिस ने भी कहा था. मेरी सास तेज़ हैं.
 उस की बात झूठ थी. मेरी अम्मी और अब्बू बाहुत प्यारे हैं....
अल्लाह हमेशा उन का साया हमारे सर पर बरकरार रखे आमीन....

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1 Comments

Varsha_Upadhyay

15-Sep-2023 04:52 PM

Nice one

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